A Poet of Elements

Friday, August 29, 2008

बारिश


आँचल तेरी यादों का भिगो देती है बारिश
सोचों पे जमी गर्द को धो देती है बारिश

हंस हंस के सुनती है जहाँ भर के फ़साने
पुछूं तेरे बारे में तो रो देती है बारिश

लगते हैं पराये मेरी आँखों को मनज़िर
हैरत मेरे एहसास को वो देती है बारिश

यादों की महक हो की तेरे हिज्र के ताने
चुप-चाप मैं रख लेता हूँ जो देती है बारिश

मुझ पर तो जो करती है सो करती है इनायत
मोती तेरे बालों में पिरो देती है बारिश

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