A Poet of Elements

Wednesday, August 29, 2007

कठिन डगर है ....
पाँव भी देखो तकन से भारी रुकने लगे हैं
हिम्मत भी कुछ ठिठक गयी है
तुम, लेकिन फिर भी सोच के रुकना
सोच के मूडना
नज़रें झुका के आँख मिलाना
मुमकिन है ऐसा हो जाए
यूँही पलट के जब तुम देखो
तो तुम पत्थर के हो जाओ