बारिश
सोचों पे जमी गर्द को धो देती है बारिश
हंस हंस के सुनती है जहाँ भर के फ़साने
पुछूं तेरे बारे में तो रो देती है बारिश
लगते हैं पराये मेरी आँखों को मनज़िर
हैरत मेरे एहसास को वो देती है बारिश
यादों की महक हो की तेरे हिज्र के ताने
चुप-चाप मैं रख लेता हूँ जो देती है बारिश
मुझ पर तो जो करती है सो करती है इनायत
मोती तेरे बालों में पिरो देती है बारिश